विपल्व
- सुश्री गुंजन गुप्ता
इन नग्न आँखों से
देखते हुए विप्लव को
कर रही हूँ महसूस
स्वयं को
असहाय सी
सर्पों सी फ़ुफ़कारती
नदियों की लहरों का
और
लहराती हुईं
उनकी धड़कनें
अपनी श्वासों के आरोह में
लील लेने को आतुर हैं
समग्र सृष्टि को
प्रकृति के कोप
के मध्य
संसाधनयुक्त मानव
बन चुका है मात्र
चीटियों सा
बहा जा रहा है
कीट-पतंगों की भाँति
कभी जो
बना बैठा था
खुद को प्रकृति का भोगी
हो गयी चूर
एक झटके में
उसके अहंकार की माला
खुद को स्वामी मान
भूल गया था
उसके धैर्य की सीमा को
नकार दिया था
उसके अस्तित्व को
और रह गया मात्र
कठपुतली बन कर!!
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वो जादूगरनी
- सुश्री गुंजन गुप्ता
वो जादूगरनी
बाँध रखे हैं जिसने
अपनी झोली में
चमत्कारों के पुलिंदे
गुलदस्ते को फीता बना
तो कभी
खुद को आलमारी में कैद कर
हो जाती उड़ंछू
बहुत तरकीबें जानती है वो
सबको अचंभित करने की
पर
नहीं जानती
आसमाँ को कोना
कर देने का हुनर
जिसके चमकते चाँद में
आता हो नज़र
सिर्फ किसी एक ही के
महबूब का अक्स;
नहीं जानती
एवरेस्ट को बौना कर पाना
जिस पर चढ़ सभी
बन जाएं विश्व विजेता;
हाँ!
पर कर सकती है
कुछ ऐसा कमाल
जो हैं
दुःख और निराशा में कैद
वो भी
भूल जाते हैं
पीड़ा अपनी
और खिलखिला पड़ते हैं अनायास ही,
दिखाती है
अनोखी दुनिया
उन बच्चों को
जो नहीं जानते
बचपन को
गरीबी-लाचारी से जूझते
बीना करते हैं बोतलें
और
ढोते हैं ईंट
कुछ क्षण के लिए ही
पर दे जाती है
हँसी की सौगात उनको
वो जादूगरनी.....!!
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यदि
- सुश्री गुंजन गुप्ता
शब्दों के अर्थ
निर्भर हैं
सिर्फ विचारों पर
चाहे व्यंग्य को सुविचार
या
सुविचार को व्यंग्य
सब बंधे हैं
समझ की सीमाओं में
परंतु
यदि आज भी
अपनी सूक्ष्मता के साए में
क्षुद्र ही बना है
उसकी कोख में क्या पल रहा
नहीं जानता
वह स्वयं भी
बड़ी-बड़ी सम्भवनाओं के सम्मुख
कर दिया जाता है खड़ा
उसे बड़ी सरलता
व्
निष्ठुरता से
वह सक्षम नहीं
जो बदल सके
दुर्भाग्य को
सौभाग्य में,
होनी को
अनहोनी में
बंधा है वो भी
नियति की पाजेब में
एक घुँघुरू सा
जो तभी बजता है
जब थिरकते हैं पाँव
नियति के....!!
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उम्मीदें
- सुश्री गुंजन गुप्ता
आज बुरा है
कल बद्तर होगा
पर अगला दिन
शायद कुछ उजास हो
जब खिलेगी चुटकी भर धूप
इस तमसित जीवन में
आएगी बहार इस निर्जन के पतझड़ में
सुवासित हो जाएगी यह हृदय वाटिका
मोहक रंगीन पुष्पों से
यह उम्मीद ही तो है
जो गहन अंधेरों में भी
एकाकी निरंतर बढ़ते रहने का संकेत देती है
हौसला देती है लक्ष्य में अडिग रहने का
फिर कभी लगती है अचानक सी ठोकर,
और थम जाते हैं पाँव
जड़ हो जाती हैं फुदकती तमन्नायें सभी
और, निराशाएं कुछ ही पल में अपनी रूखी चादरों में लपेट लेती हैं।
तब!
आँखों में कैद बर्फ से जमें आँसू
छटपटाहट बन निकल पड़ते हैं आजाद होने को
सच!
ये उम्मीदें कुछ नहीं देती
वक्त के चरखे में
उमर कातने के सिवाय!!!
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स्त्री
- सुश्री गुंजन गुप्ता
लोग पूजते देवी को
पूजन अर्चन करते आरती
ध्वजा नारियल भोग लगाते
श्रद्धा से नतमस्तक होते॥
एकाकी युवती देख असुर
नरभक्षी बन जाते हैं
लात मारते गृहलक्ष्मी को
नवकलियों को अपना शिकार बनाते॥
पापी और दुराचारी को
स्त्री अब ललकार रही है
नौ देवी का रूप धार कर
पुरुषों को दुत्कार रही है॥
एक सिय को जिसने छीना
बार-बार वध उसका होता
राम नहीं हैं इस युग में तो क्या
स्त्री ही खुद को तार रही है॥
स्त्री बसती देवी रूप में
बिन स्त्री है यज्ञ अधूरा
स्त्री शक्ति स्वरूपा भी है
स्त्री ही घर की मान है॥
स्त्री अबला कोमलांगी है
पर वो अब लाचार नहीं
अपना रण वह स्वयं जीतती
महाकाली रणचण्डी है॥
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|| गुंजन गुप्ता ||
नाम- गुंजन गुप्ता
पिता - श्री मुन्ना लाल गुप्ता
माता - श्रीमती हेमन्त गुप्ता
पति - श्री उमेश कुमार गुप्त
जन्मतिथि -18 नवम्बर
शिक्षा- एम. ए. द्वय ( हिन्दी, समाजशास्त्र )
बीएड, यूजीसी नेट हिन्दी( लगातार तीन बार )
संप्रति- सामाजिक कार्यकर्ता
सचिव- सहाजन साह सोशल वेलफेयर ट्रस्ट
● प्रकाशित साहित्य - साझा काव्य संग्रह - 1-जीवन्त हस्ताक्षर ,2- काव्य अमृत, 3-कवियों की मधुशाला, 4- बूँद-बूँद रक्त 5- जय रक्तवीर 6- नारी काव्य सागर, 7-भारत के हिन्दी कवि कवयित्रियाँ |
●समवेत लघुकथा संग्रह - लाल चुटकी
▪ पत्र- पत्रिकाएं - इन्द्रप्रस्थ भारती, गगनांचल, आधुनिक साहित्य , सृजन सरिता, दुनिया इन दिनों, लोकतंत्र की बुनियाद, क्राइम नेशन, सामना, अमर उजाला, किस्सा कोताह, कालजयी, हिंदुस्तानी ज़बान, सरस्वती सुमन आदि राष्ट्रीय ,अंतर्राष्ट्रीय ( कनाडा, यूएसए, चीन, नेपाल आदि) तथा पोर्टल, ई- पत्रिका मिलकर 100 से अधिक पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित।
■कई शोध पत्र प्रकाशित
●-1-"प्रिय प्रवास में स्त्री पात्रों की मानवीय भूमिका "
2- "रक्तदान उत्सव एक जीवनोत्सव"
3- प्रो शामलाल और उनका साहित्य
4- पुरुष बनाम स्त्री
5- समय और समाज का सजग प्रहरी: मनीष वैद्य
समीक्षात्मक लेख प्रकाशित ।
★किस्सा कोताह कविता प्रतियोगिता में प्रथम स्थान
●कई साहित्यिक समूह फेसबुक और वाट्सअप पर सक्रिय तथा समूह एडमिन ।
■सम्मान - *अमृत सम्मान 2016 ( विश्व हिंदी रचनाकार मंच दिल्ली )
* साहित्य सोम सम्मान 2016 ( शैली साहित्यिक मंच रोहतक )
*बालमुकुंद गुप्त सम्मान 2017 ( अर्णव कलश एसोसिएशन हरियाणा )
* दिव्य रश्मि सम्मान 2018, पटना, बिहार
* नारी काव्य सागर सम्मान 2018
जेएमडी पब्लिकेशन दिल्ली
* श्रेष्ठ युवा सम्मान ,2018 विश्व हिंदी रचनाकार मंच दिल्ली
* रक्तदान सेवा सृजन सम्मान-2018, प्रज्ञा साहित्यिक मंच रोहतक,हरियाणा
वाट्सप - 9128857786
Gunjan18uk@gmail.com
देवरिया, उत्तर प्रदेश भारत
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