प्रत्येक व्यक्ति अपने जन्म के शुरुआती वर्षों को विस्मृत कर देता है लेकिन तीन वर्ष के आस-पास उसके कुछ पल स्मृतियों में कैद होने लगते हैं।
कैद हुए उन आरम्भिक पलों को यदि मैं याद करूँ तो स्मृति पटल पर अंकित तीन वर्ष की अवस्था के बहुत से धुंधले पल आँखों के सम्मुख अनायास ही प्रकट हो जाते हैं...इंदौर शहर के भीड़ भरे खजूरी बाजार में स्थित वह मकान मेरी नन्ही सी स्मृतियों में आज भी जीवन्त हो उठता है। मेरी उछलकूद का प्रत्यक्ष गवाह बना था वह मकान, जहाँ मैंने एक वर्ष बिताया था अपने माँ-पिता, दो बड़ी बहनों व एक ज्येष्ठ भ्राता के साथ। सबसे बड़ी बहन विवाहित होने से अजमेर ससुराल में थीं।
60 वर्ष बाद मुझे नहीं मालूम, वह मकान अब भी सजीव बन कर खड़ा है अथवा नहीं; हो सकता है, उसका जीर्णोद्धार हो गया हो संभवतः किसी शाॅपिंग माॅल के रूप में, जहाँ यदि मैं चला भी जाऊं तो उस स्थान को पहचानने से ही इन्कार कर दूँ! और यदि वह मकान अब भी वहीं खड़ा है तो न मालूम कितनी जर्जर अवस्था को प्राप्त हो गया हो...मैं भी पहले जैसा कहाँ रहा अब?
बड़ी अजीब सी बनावट थी उस मकान की, जहाँ बीच में सीढ़ियाँ थीं और दोनों ओर बड़े-बड़े दो कमरे...और हाँ, एक दिन उन खड़ी सीढ़ियों पर मैं ऊपर से नीचे फिसल कर धड़ाधड़ गिरता चला गया तो सबसे निचले पायदान तक आ पहुंचा था पर फिर भी मेरा कुछ न बिगड़ा था। मकान की ग्राउंड फ्लोर पर मकान मालिक रहता था जो शायद पागल था और मुझे याद है, मैं उससे बहुत डरता था।
स्मृतियों की परतों से और धूल हटाऊं तो सड़क से लगे हुए बाजार की रौनक ऊपर कमरे से ही दिखाई देती थी। खिड़की से नीचे एक छज्जा सा बना था जिस पर मैंने एक बार एक रुपये का नोट डर कर फेंक दिया था जो मेरी भुवा ने इन्दौर से अजमेर लौटते समय बहुत प्यार से मेरे हाथों में चुपचाप ठूंस दिया था। मैंने नोट कुछ प्रतिरोध के बाद रख तो लिया था किन्तु डर भी गया था कि रुपये लेने के कारण पिता की डाँट खानी पड़ेगी।
मुझे आज भी याद है, जब मुझे अपने से तीन साल बड़े भाई (भाईसाब) की अंगुली पकड़ कर रोते हुए स्कूल भेजा जाता था और भाई भी स्कूल न जाने के बहाने ढूंढते थे।
तीन वर्ष की अवस्था में ही मेरे छोटे से मस्तिष्क में यह बात अंकित हो गई थी कि घर में सबसे बड़ी बहन सुशीला जीजी ससुराल से आतीं तो उनकी राय को बहुत महत्व दिया जाता था। वैसे तो मैं संतोषी प्रकृति का था, जिद नहीं करता था जबकि भाईसाब की बात न मानी जाती तो वे जिद करके मनवा लेते थे।
जीवन परिचय
नाम : डॉ.अखिलेश पालरिया
माता : चन्द्रकला देवी
पिता : श्री रत्न लाल 'विद्यानुग'
जन्मतिथि: 28 अगस्त,1958
जन्मस्थान: अजमेर
शिक्षा : एम.बी.,बी.एस.
कहानी संग्रह-
उपन्यास-
कविता संग्रह-
1.भरी दुपहरी में चाँद की तलाश (2012)
2.कविता बन कर कह दूँ (2017)
लघुकथा संग्रह-
1.पीर पराई (2017)
बाल साहित्य-
विविध विषयों पर-
संपादित पुस्तकें-
आत्मकथा-
पुरस्कार एवं सम्मान :
1.नवज्योति कथा सम्मान (1999): कहानी 'अनोखा सच' के लिए।
2.कला अंकुर सम्मान (2014): कहानी 'अपना दर्द, उनका दर्द' के लिए।
3.अखिल भारतीय डॉ.कुमुद टिक्कू स्मृति सम्मान (2014) व 2016): लघुकथा- 'संवेदना' तथा कहानी- 'अन्तर्बोध' के लिए।
4.लाल बहादुर शास्त्री साहित्य रत्न सम्मान (2015)
5.अखिल भारतीय माँ धनपति देवी स्मृति कथा साहित्य सम्मान (2015): कहानी- 'प्यार का सागर' के लिए।
6.अखिल भारतीय ओंकारलाल शास्त्री स्मृति कहानी संग्रह सम्मान (2016): कहानी संग्रह- 'आखिर मन ही तो है' के लिए।
7.डॉ.महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान (2016)
8.सृजन साहित्य सम्मान (2016)
9.शतकवीर सम्मान (2017)
10.कहानी- 'स्वार्थ के रिश्ते' राष्ट्रधर्म पत्रिका द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता (2018) में पुरस्कृत।
11.शम्भू-शेखर सक्सेना राज्य स्तरीय साहित्य पुरस्कार (2018): कहानी संग्रह- 'डस्टबिन एवं अन्य कहानियाँ' के लिए।
12.साहित्य सुकुमार सम्मान (2018)
13.डॉ.सरोजिनी कुलश्रेष्ठ अखिल भारतीय हिन्दी कहानी संग्रह प्रतियोगिता पुरस्कार (2018): कहानी संग्रह- 'डस्टबिन एवं अन्य कहानियाँ' के लिए।
14.नाथद्वारा साहित्य मंडल द्वारा साहित्य कुसुमाकर सम्मान (2019)
15.जबलपुर में समग्र लेखन पर अखिल भारतीय स्तर का कादम्बरी पुरस्कार (2022)
16.समग्र लेखन पर मध्य प्रदेश तुलसी साहित्य अकादमी द्वारा तुलसी सम्मान (2022)
17.सरस्वती साहित्य संगम, रावतसर द्वारा 'साहित्य श्री' सम्मान (2023): कहानी संग्रह- 'कर्तव्य-पथ' के लिए।
18.जयपुर साहित्य सम्मान (2023): उपन्यास- 'सच्चे झूठे रिश्ते' के लिए।
विशेष-
संयोजक, शब्द निष्ठा सम्मान
(2015 से निरन्तर हिन्दी की विविध विधाओं पर अखिल भारतीय स्तर की प्रति वर्ष प्रतियोगिता आयोजित कर ₹ 31000+ की सम्मान राशि विजेताओं को देय। साथ ही 800 वर्ग गज भूमि पर 2018 में निर्मित 'कला रत्न भवन' की साहित्यिक समारोहों हेतु नि:शुल्क उपलब्धता)।पता :
कला रत्न भवन',
पाल बिचला,
भरोसा अगरबत्ती ऑफिस के पास,
अजमेर (राजस्थान) 305007
मोबाइल- 9610540526
ईमेल- akhileshpalria70@gmail.com
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